रुद्राक्ष क्या है? 1 से 14 मुख रुद्राक्ष की पूरी जानकारी
शास्त्रों में रुद्राक्ष का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। पुराणों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से हुई है, इसी कारण इसका नाम रुद्राक्ष पड़ा। रुद्राक्ष धारण करने से पापों का नाश होता, मन को शांति मिलती है और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति (पौराणिक कथा ) भूसुंड ऋषि के पूछने पर भगवान महाकालाग्नि रुद्र ने बताया कि संहार काल में भगवान शिव ने अपने नेत्र बंद किए। उस समय उनके नेत्रों से जो अश्रु गिरे, उन्हीं से रुद्राक्ष उत्पन्न हुए। रुद्र के नेत्रों से उत्पन्न होने के कारण ही इन्हें रुद्राक्ष कहा गया। यह रुद्राक्ष राक्षसों का नाश करने वाला, पापों से मुक्त करने वाला, और मृत्यु से तारने वाला माना गया है। रुद्राक्ष के प्रकार शास्त्रों में रुद्राक्ष के एक मुख से लेकर चौदह मुख तक का वर्णन मिलता है। रुद्राक्ष दो प्रकार के माने गए हैं। रुद्राक्ष और भद्राक्ष। जिस रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से छिद्र हो, वही श्रेष्ठ माना गया है। मनुष्य द्वारा किया गया छिद्र वाला रुद्राक्ष मध्यम कोटि का होता है। 1 से 14 मुख रुद्राक्ष -देवता लाभ और मंत्र 1...