भगवान चित्रगुप्त प्रत्येक प्राणी के शरीर में गुप्त रूप से निवास करते है

एक दिव्य शक्ति, जो अंतःकरण में चित्रित एक दिव्य शक्ति जो अंत:करण में चित्रित चित्रों को पढ़ती है, उसी के अनुसार उस व्यक्ति के जीवन को नियमित करती है अच्छे - बुरे कर्मों का फल भोग प्रदान करती है, न्याय करती है। उसी दिव्य देव शक्ति का नाम चित्रगुप्त है। चित्रगुप्त जी कायस्थों के जनक है। कायस्थों का स्रोत श्री चित्रगुप्त जी को माना जाता है। कहा जाता है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो यमराज ने उनसे मानवों का विवरण रखने में सहायता मांगी। यह सुन ब्रह्माजी ध्यान - साधना में लीन हो गए और जब उन्होंने आँखें खोली तो एक पुरुष को अपने सामने कलम, दवात, पुस्तक तथा कमर में तलवार बांधे खड़ा पाया। ब्रह्माजी ने पूछा, "हे पुरुष तुम कौन हो? वह पुरुष बोला,"मैं आपके चित्र (शरीर) में गुप्त रूप से निवास कर रहा था। अब आप मेरा नामकरण करे और मेरे लिए जो भी दायित्व हो सौंपे। तब ब्रह्माजी बोले,"क्योंकि तुम मेरे चित्र (शरीर) में गुप्त (विलीन) थे, इस लिए तुम्हें चित्रगुप्त के नाम से जाना जाएगा और तुम्हारा कार्य होगा प्रत्येक प्राणी की काया में गुप्त रूप से निवास करते हुए उनके द्वा...