भगवान सूर्य देव का एक अंश काशी में लोलार्क नाम से स्थापित हो गया|(www.neelam.info)
भगवान सूर्य
देव का एक अंश काशी में लोलार्क नाम से स्थापित हो गया|
भगवान शंकर
काशी का भ्रमण कर रहे थे| भ्रमण करते हुए उन्होंने देखा काशी के राजा दिवोदास
भक्ति भाव से धर्म कर्म के कार्यो में व्यस्त थे| भगवान शिव के मन में विचार आया
ये राजा सच में अच्छा है या ये फिर भक्ति भाव का दिखावा कर रहा | ये जानने के लिए
मुझे राजा की परीक्षा लेनी पड़ेगी| भगवान शिवजी काशी भ्रमण करने के बाद कैलाश पहुचे,कैलाश पर सूर्य देव पहले से ही आए हुए थे| शिवजी और सूर्य देव एक दुसरे को प्रणाम किए फिर शिवजी
ने सूर्य देव को आसन प्रदान किया| फिर शिवजी सूर्य देव से बोले आज काशी का भ्रमण
करते हुए मैंने काशी के राजा दिवोदास को अच्छे कर्म करते हुए देखा , हे सूर्य देव मै
चाहता हूँ की आप काशी के राजा का परीक्षा ले वे सच में धर्म कर्म कर रहे या फिर धर्म कर्म का दिखावा कर रहे है| मुझे सच्
जानना है| भगवान सूर्य देव बोले प्रभु मै कब से आपके काशी नगरी का दर्शन करना
चाहता था| आपने ये कार्य मुझे करने के लिए
दिया| ये मेरे लिए बड़ी खुशी की बात है
भगवान सूर्य
देव भिक्षुक का वेश धारण करके काशी पहुचे | काशी में पहुचते ही भगवान सूर्य देव ने
देखा चारों ओर राजा दिवोदास के दानवीरता के बारे में बाते हो रही थी| सूर्य देव काशी घूमते घूमते एक
मन्दिर के पास पहुचे मन्दिर के पुजारी से सूर्य देव बोले मैंने काशी में किसी को
दुखी नहीं देखा काशी में हर व्यक्ति के मुख पर ख़ुशी ही ख़ुशी नजर आ रहींहै पुजारी
बोला लगता है आप काशी में पहली बार आए है | इसलिए आप हमारे राजा के बारे में नहीं
जानते आप जो हर व्यक्ति के मुख पर खुशिया देख रहे हो ये सब यहाँ के राजा दिवोदास
की वजह से है| यहाँ के राजा के होते हुए कोई भी मनुष्य काशी में दुःख नहीं उठा
सकता|
सूर्य देव
पुजारी से बोले यहाँ के राजा मेरी भी इच्छा पूरी करेगें पुजारी बोला आप सुबह
मन्दिर आइये राजा सुबह मन्दिर में आते है पूजा करने के बाद सभी को एक बराबर दान
देते है |आपको जो चाहिए दान में माँग लीजियेगा दुसरे दिन भगवान सूर्य देव भिक्षुक
के वेश में मंदिर पहुच गए| सूर्य देव ने देखा राजा भगवान की पूजा कर रहे है| सूर्य
देव मन्दिर में बैठ गये| दान देते देते राजा भिक्षुक बने सूर्य देव् के पास पहुचे
राजा ने देखा भिक्षुक के शरीर से एक दिव्य प्रकाश निकल रहा है | राजा समझ गये ये
कोई साधारण भिक्षुक नहीं है । राजा दिवोदास बोले हे भिक्षुक आपको क्या चाहिए तब भिक्षुक रूपी
भगवान सूर्य देव बोले ‘हे राजन मेरी इच्छा है की आप मुझे राज अतिथि बनाकर अपने
राजमहल में रखो और मेरी संपूर्ण इच्छाएँ पूर्ण करो| भिक्षुक बने सूर्य देव राजा के
महल में राज अतिथि बन कर रहने लगे | सूर्य देव राजा की परीक्षा लेना आरंभ कर दिए |
लेकिन राजा हर परीक्षा में पास होते गये | राजा को अच्छे अच्छे कर्म करते हुए देख
भगवान सूर्य देव राजा दिवोदास से बहुत खुश हुए भगवान सूर्य देव साक्षात प्रगट होकर
दिवोदास को दर्शन दिए और बोले वरदान मांगों
भगवान सूर्य
देव को अपने सामने देख कर राजा दिवोदास भगवान सूर्य देव के चरण वन्दना करके बोले
भगवन मै चाहता हूँ की आपका एक अंश काशी में निवास करे आपका दर्शन जो भी व्यक्ति
भक्ति भाव से करने के लिए आए उसे आप सदा रोग मुक्त और सुखी रखना
भगवान सूर्य देव स्वयं भी महादेव के नगरी में निवास करने के लिए लालायित थे| दिवोदास की बात सुन कर भगवान सूर्य देव का एक अंश काशी में ‘लोलार्क ‘के नाम से स्थापित हो गया|
काशी के
लोलार्क कुंड में स्नान करने के लिए लोग क्यों जाते है
जिसे मै जानती हूँ मै उन लोगों से मिली उन्होंने मुझे
बताया मै लोलार्क नहाने गयी थी | काशी के लोलार्क कुंड में स्नान करने के बाद मुझे
बेटा हुआ मनोकामना पूर्ण होने के बाद मै अपने बच्चे के साथ लोलार्क गयी | लोलार्क
में अपने बच्चे का मुंडन करवाया संतान पाने के लिए सूर्य भगवान की पूजा की जाती है|
जो व्यक्ति भक्ति भाव से सूर्य भगवान की आराधना करते है,उन्हें अच्छी संतान और
संतान की खुशहाली के साथ ही आरोग्य और धन की प्राप्ति भी होती है मान्यताओ के
मुताबिक यहाँ डुबकी लगाने से महिलाओ की सुनी गोद भर जाती है पति पत्नी को साथ में
लोलार्क कुंड में तीन बार डुबकी लगाकर स्नान करना चाहिए कुंड में स्नान करने के
बाद दंपति को एक फल का दान कुंड में करना चाहिए| जिस फल को कुंड में दान करते है उस
फल को हमेशा त्याग करना पड़ता है| इस दौरान पति पत्नी को अपने भीगे कपड़े
यहीं छोड़ देना चाहिए | ऐसी मान्यता है की कपड़े के साथ वे अपने शरीर के सारे कष्ट
छोड़ आते है | कुंड में स्नान करने बाद लोलाकेश्वर महादेव का दर्शन करना चाहिए | लोलार्क षष्ठी के
दिन लोलार्क कुंड में डुबकी लगाने से लोलाकेश्वर महादेव भक्तो की हर मनोकामना पूरा
करते है
भगवान सूर्य देव के मन्त्र का यथा शक्ति जप कीजिये सूर्यदेव
का मन्त्र है
ॐ घृणि: सूर्याय नम:
सनातन धर्म में उगते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाना
स्वास्थ के लिए अच्छा माना गया है| अगर आप सुबह उगते हुए सूर्यदेव को जल चढाते है
तो आप हमेशा के लिए निरोग रहेगे | रविवार सूर्यदेव का दिन माना जाता है
धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उगते सूरज को जल देना अच्छा माना गया
पौष माह (जनवरी) में हम मकर
संक्रांति क्यों मनाते है
पौष मास (जनवरी) जिस दिन सूर्य मकर राशी में प्रवेश
करता है उस दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है
मकर संक्रांति का त्यौहार हम इस लिए मनाते है भगवान
सूर्यदेव अपने पुत्र शनीदेव से मिलने इसी दिन उनके घर जाते है
मकर राशि के स्वामी शनिदेव है इस लिए भी इस दिन को
मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है|
माँ
गंगा का इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था| इस लिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया
जाता है धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कई मान्यताए है| हमारे गाँव में मकर
संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से मनाते है| हम सुबह उठकर सबसे पहले नहाते है|
उसके बाद हम उस दिन नये नये कपड़े पहनते है भगवान सूर्य देव की आराधना करते है |उसके
बाद चावल और उर्द और गुड तिल के बने लड्डू को पांच बार छू के प्रणाम करते है उसके
बाद लाइ चूरा गुड-तिल जो भी हमारे पास है तिल लड्डू लाई चूरा खाते है उसके बाद
चावल में काली उरद दाल मिलाके खिचड़ी बना के खाते है| उस दिन पतंग भी उड़ाते है इस
दिन हम लोग कई प्रकार के व्यंजन बनाते है| पंडित जी को दान देते है| उस दिन हम गरीबो
को भोजन और लाई चूरा गट्टा गुड से बने जो भी लड्डू है उसे देते है भारत के विभिन्न
राज्यों में अलग
अलग नामो से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है और
सभी राज्यों में भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है । अपने रीती रिवाजो द्वारा और उत्साह के साथ
भक्ति भाव से ये त्यौहार हम मनाते है |
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ReplyDeleteलोलार्क नाम स्थान की वजह से पड़ा या सुर्य देव की वजह से, कृपया प्रकाश डाले-अभिजीत
ReplyDeleteलोलार्क एक स्थान का नाम है या सुर्य देव का रूप है?- कृपया सम्भव हो तो जानकारी दे-अभिजीत
ReplyDeleteधार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् सूर्य का रथ का पहिया इसी जगह पर गिरा था पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान् सूर्य सैकड़ो वर्ष तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की जो लोलाकेश्वर् नाम से जाना जाता है धार्मिक मान्यताओ के अनुसार भगवान् सूर्य का मन काशी को देखने के लिए बहुत उत्सुख हो गया (लालायित) इसलिए काशी में सूर्य कोl लोलारक नाम मिला
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद जानकारी के।लिये आगे ऐसे ही विषयों पर जानकारी देते रहिये-अभिजीत
Deleteअत्यंत रोचक जानकारी-कमलप्रसाद
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