वेदों की उत्पत्ति neelam.info
वेदों की उत्पत्ति ब्रम्हाजी ने सृष्टि-रचना के समय देवताओं और मनुष्यों के साथ-साथ कुछ असुरों की भी रचना कर दी |असुरों में देवताओं के विपरीत आसुरी गुणों का समावेश था, असुर स्वभाव से अत्यंत क्रूर,अत्याचारी और अधर्मी हो गये| ब्रम्हाजी ने देवताओं के लिए स्वर्गलोक और मनुष्यों के लिए पृथ्वीलोक की स्थापना की| ब्रम्हाजी को जब असुरों की आसुरी शक्तियों का ज्ञान हुआ तो ब्रम्हाजी ने असुरों को पाताललोक में निवास करने को भेज दिया|
देवताओं की शक्ति का आधार भक्ति,सात्विकता और धर्म था,किन्तु स्वर्ग के भोग
विलास में डूबकर वे इसे भूल गए,इस कारण देवताओं की शक्ति क्षीण होती गई|
असुर भगवान शंकर को प्रसन्न करके अनेक वरदान प्राप्त कर लिए
असुरों की
आसुरी शक्तियों में वृद्धि होती गयी और वे पृथ्वीलोक पर आकर मनुष्यों पर अत्याचार
करने लगे असुरों ने स्वर्ग पर भी आक्रमण कर के स्वर्ग को भी अपने अधिकार में कर
लिए
देवताओं की करुण पुकार सुनकर शिवजी बोले, हे देवताओ तुम्हारी शक्तियाँ भोग विलास और ऐश्वर के कारण क्षीण हो गयी है,और असुर अपने तप के बल से बलशाली हो गये है तुम्हारी रक्षा अब केवल माता गायत्री ही कर सकती है अत: आप सब माता गायत्री के शरण में जाएँ भगवान शिव सहित सभी देवगण माँ गायत्री के सम्मुख उपस्थित हुए और माँ की पूजा अर्चना की| माता गायत्री के प्रसन्न होने पर शिवजी बोले, ‘हे माँ तीनों लोको में असुरों के अत्याचारों से हाहाकार मच गया है आसुरी शक्तियाँ दैवी शक्तियों से अधिक बलशाली हो गयी है| देवताओं को शक्तिशाली बनाने के लिए यह आवश्यक है की पृथ्वी पर भक्ति,सात्विकता, धर्म और सदाचार की स्थापना की जाए, जिससे दैवी शक्तियों को बल प्राप्त हो और वे शक्तिशाली होकर आसुरी शक्ति को पराजित कर सके
चार वैदिक
पुत्रो को जन्म दूँगी माँ गायत्री
ने जब असुरों के अत्याचारों के बारे में सुना तो माँ बोली, ‘देवगण, आप निश्चिंत
रहें|
मै अपनी
वैदिक और धार्मिक शक्तियों द्वारा चार वैदिक पुत्रों को जन्म दूँगी, जो पृथ्वी पर
भक्ति, धर्म और सदाचार की स्थापना करते हुए देवताओं को शक्ति प्रदान करके
शक्ति-सम्पन्न बनाएँगें|’’
माँ गायत्री
ने नेत्रों को बंद करके अपनी वैदिक शक्तियों को मस्तिष्क में केंद्रित किया| कुछ
समय बाद माँ गायत्री ने अपने नेत्र खोले तो उनमें से एक प्रकाश-पुंज प्रगट हुआ| वह
प्रकाश-पुंज इतना अधिक तेजयुक्त था की ब्रम्हांड का संपूर्ण प्रकाश भी उसके समक्ष
प्रभाहीन हो गया| तत्पश्चात उस प्रकाश-पुंज में से चार दिव्य बालकों- ऋक,यजु:
अथर्व और साम का जन्म हुआ| माँ गायत्री की वैदिक और धार्मिक शक्तियों के कारण ही
इनका जन्म हुआ,
इस लिए ये
चारों बालक वेद और माता गायत्री वेदों की माँ कहलाई|
चारों दिव्य
बालकों के जन्म लेते ही माँ गायत्री उनसे बोली,
हे पुत्रों
तुम्हारा जन्म सृष्टि कल्याण के लिए हुआ है|
हे पुत्रों
तुम्हारा जन्म सृष्टि कल्याण के लिए हुआ है| आज से तुम्हारा संपूर्ण जीवन पृथ्वी
पर धर्म और भक्ति के प्रचार में व्यतीत होगा|
जब तक तुम
चारों का अस्तित्व रहेगा,तब तक पृथ्वी पर तामसिक शक्तियाँ श्रीहीन रहेंगी| असत्य
पर सदा सत्य की विजय होगी|’’
साधारण पूजन-अर्चन से प्रसन्न होने वाली माँ गायत्री की सहज कृपा-दृष्टि प्राप्त करने के लिए साधक को गायत्री मंत्र का नियमित जप करना चाहि
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं,।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्। "
यह एक
स्वर्योसिद्ध महामंत्र है इसे मंत्रो का राजा कहा गया है,
अंधकार से
प्रकाश देने वाली वेदमाता,प्राणाधार,रक्षक,द:खनासक,आनंददायक,हम आपके सुंदर,दिव्य
एवं तेजोमय रूप का ध्यान करते है|
आपको प्राणार्पण करते हैं|
अर्थात आपको
सबकुछ सौपते है, जिससे हमारी बुद्दी स्थिर हो सके|
गायत्री
मंत्र का नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति की सभी विध्न-बाधाएँ समाप्त हो जाती है|
गायत्री मंत्र का जप उपासक के सभी पापों को नष्ट कर देता है| माता की कृपा से उसकी
सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं| गायत्री मंत्र का जप बम्हमुहर्त में स्नान करने के बाद
स्वच्छ वस्त्र धारण कर पवित्र तथा एकांत स्थान पर करना चाहिए
मंत्र का जप
करने के लिए तुलसी अथवा चंदन की माला का पयोग उतम माना गया है| जप करते समय मन को
एकाग्रचित रखना चाहिए, तभी जप का फल प्राप्त होता है| मंत्र का जप पूर्ण करने के
बाद साधक को मीठे पकवानों से माँ गायत्री को प्रसाद का भोग लगाना चाहिए| यह मंत्र
उपासक को भोग और ऐश्वर्य के साथ-साथ मोक्ष भी प्रदान करता है| मनुष्य के
ज्ञान-विज्ञानं को बढ़ानेवाला यह मंत्र जप द्वारा साधक को आंतरिक शुद्दता प्रदान
करता है|
इस मंत्र की
उपासना से साधक में सद्बुद्दी,सद्विचार और सदधर्म का उदय होता है|
Ati uttam
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteहे पुत्रों तुम्हारा जन्म सृष्टि कल्याण के लिए हुआ है|-नीलकुंज
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी-कमलप्रसाद
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें 🙏-आसराकुंज
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें- समर्पण सेवा
ReplyDeleteपोस्टची सामग्री अतिशय मनोरंजक
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति-आध्यात्मिक संघ
ReplyDeleteअत्यंत रोचक-आसराकुंज
ReplyDeleteउत्तम रचना नवचेतना
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ReplyDeleteरोचक प्रस्तुति एवं ज्ञानवर्धक लेख-नवरंग
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ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति आशा कुंज
ReplyDeleteॐ भूर्भुव:स्व:तत्सवितुर्वरेण्यं,
ReplyDeleteभर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न:पचोद्यात
मंत्र मे कुछ सुधार की जरूरत है -आध्यात्म संघ
उत्तम
DeleteVery powerful and knowledgeable post on neelam.info. best wishes- Neelkamal
ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें
ReplyDeleteভাল
ReplyDeleteજ્ઞાનવર્ધક
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ReplyDeleteअत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें-निकुंज
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति, कर्म एवं धर्म दोनों का सामंजस्य ही जीवन को उत्तम दिशा देने के लिए जरूरी है-शिवदर्शन
ReplyDeleteअत्यंत रोचक एवं उत्तम -कुष्ठ सेवा आश्रम
ReplyDeleteअत्यंत उत्तम शब्द एवं धारा पूर्ण लेख-कुटीर
ReplyDeletePl. It's a site or group?
ReplyDeleteIt's My Personal Site as"neelam.info"
DeleteOk thanks
Delete🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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