कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है| neelam.info

 

कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है|

कामदेव का धनुष प्रकृति के सबसे ज्यादा मजबूत साधनों में से एक है| वसंत कामदेव का मित्र है, इस लिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है| इस धनुष की कमान स्वर-विहीन होती है|

कामदेव के धनुष की कमान स्वर-विहीन होती है|

यानि कामदेव जब कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती|

इसका मतलब यह अर्थ भी समझा जाता है की काम में शालीनता जरूरी है| यह मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है यह मनुष्य को मुक्ति का मार्ग बताता है| यानि काम न सिर्फ सृष्टि के निर्माण के लिए जरूरी है, बल्कि मनुष्य को कर्म का मार्ग बताने और अंत में मोक्ष प्रदान करने का रास्ता सुझाता है|  

तीर कामदेव का सबसे महत्वपूर्ण शस्त्र हैं| कामदेव का तीर जब किसी को बेधता है, उसके पहले न तो आवाज करता है और न ही शिकार को सँभलने का मौका देता है|

कामदेव के धनुष का लक्ष्य विपरीत लिंगी आकर्षण से बँधकर पूरी सृष्टि संचालित होती है| कामदेव का रूप इतना बलशाली है की इसकी सुरक्षा नहीं की गई तो उपद्रव ला सकता है इसलिए यह कवच कामदेव की सुरक्षा से निबद्द है| यानि सुरक्षित काम प्राकृतिक व्यवहार के लिए आवश्यक माना गया है, ताकि सामाजिक बुराइयों और भयंकर बीमारियों को दूर रखा जा सके|

धार्मिक शास्त्रों में कामदेव को तोते पर बैठे हुए भी बताया गया है| 
प्रकृति में हाथी एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो चारों दिशाओ में स्वच्छंद विचरण करता है|

मादक चाल से चलनेवाला हाथी तीन दिशाओ में देख सकता है और पीछे की तरफ से हलकी सी भी आहट आने पर सभल सकता है 

हाथी को कामदेव का वाहन माना गया है। 

हाथी हर तरफ का स्वर आसानी से सुन सकता है और अपनी सूँड से

चारों दिशाओं में वार कर सकता है| ठीक इसी प्रकार कामदेव का चरित्र भी देखने में आता है| ये स्वच्छंद रूप से चारों दिशाओं में घूमते हैं और किसी भी दिशा में तीर छोड़ने को तत्पर रहते है l

कामदेव किसी भी तरह के स्वर को तुरंत भापने का माददा भी रखते है|

कामदेव का स्वरूप युवा और आकर्षक है|

हिंदू शास्त्रों में कामदेव को प्रेम और काम का देवता माना गया है| कामदेव का स्वरूप युवा और आकर्षक है| वे विवाहित है और रति उनकी पत्नी है|

कामदेव इतने शक्तिशाली हैं की उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है|

कामदेव के अन्य नाम 

रागवृंत,अनंग,कंदर्प,मनमथ,मनसिजा,मदन,रतिकांत,पुष्पवान,पुष्पधन्व, आदि प्रसिद्द हैं| कामदेव हिंदू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रदुम्न के अवतार हैं| कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है|

इतिहास कथाओं में कामदेव के नयन,भौंह और माथे का विस्तृत वर्णन मिलता है|

उनके नयनों को वाण या तीर की संज्ञा दी गई है| शारीरिक रूप से नयनों का प्रतीकार्थ ठीक उनके शस्त्र तीर के समान माना गया है|

कामदेव के भौहों को कमान की संज्ञा दी गई है| ये शांत होती है, लेकिन इशारों में ही अपनी बात कह जाती है| इन्हें किसी संग या सहारे की भी आवश्यकता नहीं होती|

कामदेव का माथा धनुष के समान है| 

कामदेव का माथा धनुष के समान है, जो अपने भीतर चंचलता समेटे होता है;लेकिन यह पूरी तरह स्थिर होता है| माथा पुरे शरीर का सर्वोच्च हिस्सा है| यह दिशा निर्देश देता है|  

Comments

  1. कामदेव के धनुष का लक्ष्य विपरीत लिंगी आकर्षण से बँधकर पूरी सृष्टि संचालित होती है| कामदेव का रूप इतना बलशाली है की इसकी सुरक्षा नहीं की गई तो उपद्रव ला सकता है इसलिए यह कवच कामदेव की सुरक्षा से निबद्द है-उत्तम

    ReplyDelete
  2. अत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें

    ReplyDelete
  3. Excellent post by neelam.info

    ReplyDelete
  4. अत्यंत रोचक जानकारी एवं ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद -गंगा दर्शन

    ReplyDelete
  5. Knowledgeable text note-Udbhav

    ReplyDelete
  6. उत्तम प्रस्तुति एवं रोचक जानकारी- आसराकुंज

    ReplyDelete
  7. Good post continue best mythological posts on neelam.info - W Pub.

    ReplyDelete
  8. Excellent post by neelam.info- prabhu Prakashan

    ReplyDelete
  9. Commendable blog post

    ReplyDelete
  10. अत्यंत रोचक जानकारी-आधारशिला

    ReplyDelete
  11. Excellent post by neelam.info-

    ReplyDelete
  12. Good blog site for such excellent mythological posts with simple and intrrsting lines and thought - V gp.

    ReplyDelete
  13. अत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें उत्तम लेख - उद्गम सेवा

    ReplyDelete
  14. content of the text is very knowledgeable-wiliam

    ReplyDelete
  15. Motivational and informative post-आध्यात्मिक ज्ञान

    ReplyDelete
  16. Motivational and informative post-आध्यात्मिक ज्ञान

    ReplyDelete
  17. रागवृंत,अनंग,कंदर्प,मनमथ,मनसिजा,मदन,रतिकांत,पुष्पवान,पुष्पधन्व, आदि प्रसिद्द हैं। उत्तम

    ReplyDelete
  18. Good post continue best mythological posts on neelam.info -RPub.

    ReplyDelete
  19. अत्यंत रोचक जानकारी ढेर सारी शुभकामनायें- समर्पण सेवा

    ReplyDelete
  20. Good blog site for such excellent mythological posts with simple and intrrsting lines and thought -सहारा दर्पण

    ReplyDelete
  21. Good post continue best mythological posts on neelam.info - W Pub.

    ReplyDelete
  22. Good post continue best mythological posts on neelam.info - S.Berry

    ReplyDelete
  23. Good blog site for such excellent mythological posts with simple and intrrsting lines and thought -Parasmani

    ReplyDelete
  24. માહિતીપ્રદ લેખ

    ReplyDelete
  25. पोस्टची सामग्री अतिशय मनोरंजक

    ReplyDelete
  26. काम में शालीनता जरूरी है| यह मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है यह मनुष्य को मुक्ति का मार्ग बताता है| यानि काम न सिर्फ सृष्टि के निर्माण के लिए जरूरी है,- उत्तमआशा कुंज

    ReplyDelete
  27. "ऊं क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः "। मां कामख्या का आशीर्वाद बना रहे। उत्तम- मां कामख्या मंच

    ReplyDelete
  28. काम में शालीनता जरूरी है| यह मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है यह मनुष्य को मुक्ति का मार्ग बताता है| यानि काम न सिर्फ सृष्टि के निर्माण के लिए जरूरी है,- जय मां कामख्या

    ReplyDelete
  29. उत्तम प्रस्तुति एवं ज्ञानप्रद रचना -गंगा कुटीर विंध्याचल

    ReplyDelete
  30. "ऊं क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः "। मां कामख्या का आशीर्वाद बना रहे। इंद्रिय एवम वायु संतुलन स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।- मां कामख्या समिति

    ReplyDelete
  31. ऊं क्लीं क्लीं कामाख्या क्लीं क्लीं नमः "। मां कामख्या का आशीर्वाद बना रहे

    ReplyDelete
  32. अत्यंत रोचक जानकारी एवं ज्ञानवर्धक लेख के लिए धन्यवाद -गंगा दर्शन

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

भगवान सूर्य देव स्यमंतक मणि अपने गले से निकाल कर किसे दिए ( neelam.info)

भगवान सूर्य देव का एक अंश काशी में लोलार्क नाम से स्थापित हो गया|(www.neelam.info)

महर्षि दुर्वासा के ललाट से भष्म के गिरने से कुंभीपाक नरक स्वर्ग कैसे हो गया