रक्षा बंधन पर शुभ-लाभ अपनी बहन संतोषी को भेंट में क्या दिए

श्री गणेश पुत्र शुभ-लाभ अपनी माता से बोले रक्षा बंधन का क्या महत्व है माता

एक बार रक्षाबन्धन के पावन अवसर पर भगवान श्री गणेश की बहन गणेशलोक में आई| उनके आने की खुशी में गणेशलोक में मंगल गीत गाए गए चारों ओर हर्ष और उल्लास का वातावरण था|

श्री गणेश के दोनों पुत्र,‘शुभ और लाभ’ इस उत्सव को बड़ी एकाग्रता से देख रहें थे| शुभ, लाभ के मन में अनेक प्रकार के विचार उठ रहें थे, जिनका वे समाधान प्राप्त करना चाहते थे| शुभ,लाभ अपनी माता रिद्दी,सिद्दी के पास गये और बोले हे माता हमारे यहाँ किस उत्सव की तैयारियाँ की जा रहीं हैं? किसी भी उत्सव पर इतना वैभव और ऐश्वर्य देखने को नहीं मिलता| इसका क्या कारण है? हे माता कृपा करके हमें बतायें

देवी रिद्दी सिद्दी बोली’ हे, पुत्रों यह पर्व भाई बहन के बंधन को मजबूती प्रदान करने वाला त्यौहार है

अपने पुत्रों की बात सुनकर देवी रिद्दी-सिद्दी बोली, ‘हे पुत्रों आज रक्षाबंधन का पर्व हैं और ये सब व्यवस्था उसी पर्व के लिए की जा रहीं हैं| अपनी माता की बात सुनकर शुभ और लाभ बोले ‘हे माता रक्षाबंधन का क्या महत्व है? क्या यह भौतिकता को प्रदर्शित करने वाला पर्व है? देवी रिद्दी-सिद्दी हँसतें हुए बोली ‘हे पुत्रों यह पर्व भाई-बहन के बंधन को मजबूती प्रदान करने वाला पर्व है इसमें निश्छल प्रेम और वात्सल्य को ही अपनाया जाता है| इसका सही ज्ञान तुम्हें भगवान श्री गणेश के पास जाने से ही होगा| शुभ-लाभ अपनी माता के साथ भगवान श्री गणेश के पास गये| वहाँ पहुचते ही शुभ-लाभ ने देखा की उनकी बुआ उनके पिता की आरती कर रहीं है और इसके बाद अपने भाई के कलाई पर राखी बाँधी

श्री गणेश जी अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए बोले

श्री गणेशजी अपनी बहन को आशीर्वाद देते हुए बोले, ‘बहन, मै तुम्हें सदा सुखी रहने का आशीर्वाद देता हूँ और तुम्हें वचन देता हूँ की मै सदा तुम्हारी रक्षा करूँगा तुम जब भी मुझे पुकारोगी, तुम्हारा ये भाई तुम्हारे पास खड़ा मिलेगा और तुम्हारे कष्टों को अपने उपर धारण करूँगा

पिता श्री गणेश के वचन सुनकर शुभ-लाभ बोले पिताश्री, जो आशीर्वाद आपके भक्तो को अनेक वर्षो की कठोर साधना के बाद प्राप्त होता है वह आशीर्वाद आपने बुआ जी को केवल एक धागे के बदले में दे दिया| शुभ-लाभ को अपनी गोद में बिठाकर श्री गणेशजी बोले हे पुत्रों, यह केवल धागा नहीं है| यह निश्छल प्रेम और शक्ति का प्रतीक है|

रक्षा बंधन का यह धागा मुझे श्रेष्ट शक्तिया प्रदान करता है

यह धागा मुझे श्रेष्ठ शक्तियाँ प्रदान करता है| इसे धारण करने के लिए न जाने कितने जन्मों का पुण्य अर्पित करना पड़ता है|

और इसे धारण करने के बाद ब्रम्हा-ज्ञान के समान पुण्य प्राप्त होता है| पिताश्री मुझे भी एक बहन चाहिए  

शुभ-लाभ अपने पिता श्री गणेशजी से बोले पिताश्री जिस प्रकार आपकी बहन है उसी प्रकार हमें भी एक बहन चाहिए हम भी अपनी बहन के हाथों से इस धागे को धारण करना चाहते हैं रिद्दी-सिद्दी श्री गणेशजी से बोली ‘प्रभु अपने पुत्रों की मनोकामनाएँ पूर्ण करे इन्हें एक बहन देने की कृपा करें अपने पुत्रों की इच्छा पूर्ण करने के लिए 

श्री गणेशजी अपने नेत्र बंद कर लिए तब भगवान श्री गणेश और देवी रिद्दी सिद्दी के शरीर से दिव्य प्रकाश उत्पन्न होकर एक कमल-पुष्प पर एकत्रित हो गया| दिव्य प्रकाश के फल स्वरूप कमल पुष्प के उपर एक सुंदर बालिका का जन्म हुआ|

एक सुंदर बालिका का जन्म हुआ

बालिका के प्रगट होते ही तीनों लोको में दिव्य प्रकाश की छठा बिखर गयी सभी देवगण गणेश लोक आए दिव्य बालिका को देखते ही सभी देवता उस बालिका पर पुष्पों की वर्षा करने लगें प्रसन्न होकर बालिका ने सभी देवताओं को आशीर्वाद प्रदान किया| 


उस बालिका ने शुभ-लाभ के कलाई पर राखी बाँध दी| उस समय शुभ-लाभ के हांथों में गुड़-चने थे| उन्होंने वहीं गुड-चने भेट स्वरूप अपनी बहन को दे दिए| बालिका ने उस भेंट  को बड़ें प्रेम और श्रद्दा से ग्रहण किया

देवर्षि नारद बोले ‘हे देवी आपने केवल भेंट-स्वरूप मिले गुड़-चने को ग्रहण करके ही संतोष प्राप्त कर लिया, इसलिए आज से आप संतोषी के नाम से प्रसिद्द होंगी

जो भी भक्त शुक्रवार के दिन निराहार रहकर आपको गुड़ चने का भोग लगाएगा, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी और जीवन में वह सदा आपकी कृपा-दृष्टि प्राप्त करता रहेगा    

Comments

  1. Thanks for sharing this post and site for such type wonderful posts.Very limited sites for Hindi readers. God Bless the Author.- M Suresh RKM

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  2. अत्यंत सुंदर पोस्ट राम चंद्र

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  4. Wonderfull site for mythological post We bless for great future (leprosy mission Sister Nirmala)

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