शारदीय नवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार अक्टूबर२०२४ में कब से शुरू हो रही है


 माँ दुर्गा नवरात्रि  में इस बार डोली पर सवार होकर धरती पर आयेगीं

वर्ष में दो बार माँ दुर्गा के नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है

नवरात्रि में नौ दिन माँ दुर्गा के नव स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है जिसे नवदुर्गा-पूजन और नवरात्र-पूजन आदि कहा जाता है माँ भगवती दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है माँ दुर्गा के अनंत रूप है भक्त माँ दुर्गा के सभी रूपों की पूजा अर्चना करके  इनके कृपा के पात्र बनते है  

देश भर में नवदुर्गा-पूजन उल्लास और भक्ति-भाव से मनाया जाता है

नवरात्रि में नौ दिनों में माँ दुर्गा के विभिन्न नौ शक्तिरूपों की पूजा अर्चना की जाती है ये नौ विभिन्न रूप माँ दुर्गा के साक्षात शक्ति रूप है, जो भक्तो की सभी मनोकामनायें पूर्ण कर उन्हें लोक-परलोक में मान-सम्मान दिलवाते है

माता दुर्गा के नौ शक्ति रूप

शैलपुत्री नवदुर्गाओं में माता शैलपुत्री प्रथम दुर्गा मानी जाती है इनकी पूजा नवरात्रि में पहले दिन की जाती है

 ब्रम्हाचारिणी नवदुर्गा का दूसरा स्वरूप माता ब्रम्हाचरणीय के रूप में विख्यात है इनकी पूजा नवरात्रि में दुसरे दिन की जाती है

चंद्रघंटा नवदुर्गा का तीसरा स्वरूप माँ दुर्गा के शरीर से प्रगट हुई तीसरी शक्ति चंद्रघंटा की पूजा अर्चना नवरात्रि में तीसरे दिन की जाती है

कुष्मांडा माता दुर्गा के चौथे स्वरूप को कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है नवरात्रि में चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है

स्कंदमाता नवरात्रि में पाचवें दिन दुर्गा-पूजन में स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है

कात्यायनी नवरात्रि में छठे दिन माता कात्यायनी दुर्गा के छठे अवतार में पूजी जाती है माँ कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है

कालरात्रि नवरात्रि में सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है

महागौरी नवरात्रि में दुर्गा-पूजन के आठवे दिन माता महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है

सिद्दिदात्री नवरात्रि में नौवे और अंतिम दिन माता सिद्दिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है  

शारदीय नवरात्रि हिंदू पंचांग के अनुसार अक्टूबर २०२४ में कब से शुरू हो रही है

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शारदीय नवरात्रि ३ अक्तूबर वृहस्पतिवार से शुरू हो रही है ३ अक्टूबर से लेकर १२ अक्टूबर तक रहेगें जिसे विजयदशमी और दशहरा कहते है  

शुभ मुहूर्त कलश स्थापना  

वृहस्पतिवार ३ अक्तूबर सुबह ६ बजकर १५ मिनट से लेकर ७ बजकर २२ मिनट तक होगा अगर आप सुबह कलश स्थापना नहीं कर रहें है तो फिर आप ३ अक्तूबर वृहस्पतिवार अभिजित मुहूर्त सुबह ११ बजकर ४६ मिनट से लेकर दोपहर १२ बजकर ३३ मिनट के अंदर कलश स्थापना कर ले

कलश स्थापना कैसे करे

ब्रम्ह मुहूर्त में सुबह उठ कर सबसे पहले स्नान करे और साफ वस्त्र पहने फिर अपने घर में सफाई करले फिर अपने पूजा घर को साफ करे फिर गंगाजल से पवित्र करे फिर चौकी लगाये चौकी पे लाल वस्त्र बिछाएं  चौकी पे माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करे फिर उत्तर पूर्व दिशा में कलश की स्थापना करे कलश के निचे साफ मिटटी और मिटटी के उपर जौ बो दे कलश में जल और गंगाजल डाले   

कलश पर कलावा बाधे कलश में दूब और अक्षत,सुपारी और सिक्का डाले  कलश पर चुनरी बांधे फिर घर के मन्दिर में दीपक जलाये

पूजा विधि

अपने घर के मन्दिर में दीपक जलाये माँ दुर्गा का गंगाजल से अभिषेक करे अक्षत,रोरी लाल फूल माँ दुर्गा को अर्पित करे फल और मिठाई और बतासा प्रसाद के रूप में चढाये शुभ काम करने से पहले हिंदू धर्म में श्री गणेश भगवान की पूजा की जाती है

धुप दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करे      

पूजा सामग्री   

नारियल,पान,सुपारी,लौंग,इलायची,मिसरी या बतासे कपूर,कलावा,जल,लालचुनरी,लालवस्त्र,मौली,घी,तेल,धुप,फूल,कुमकुम, साफ चावल,फल,मिठाई,माँ दुर्गा की प्रतिमा या फोटो

अपने सामर्थ के अनुसार नवरात्रि में नौ दिन तक उपवास रखने के लिए लोग संकल्प लेते है         

नवरात्रि में पहले दिन लोग अपनी सामर्थ के अनुसार पुरे नव दिन का उपवास रखने का संकल्प लेते है

अपने सामर्थ के अनुसार कुछ लोग दो दिन का व्रत रखते है कुछ लोग तीन दिन का व्रत रखते है  

दुर्गा सप्तमी,दुर्गा अष्टमी,दुर्गा नवमी नवरात्रि में ये तीन दिन बहुत ही खास होते है इस दिन कुछ लोग कन्या खिलाते है 

शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा की झाकियाँ निकाली जाती है

 

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