पांच देवियां हैं जो संपूर्ण प्रकृति की संचालन करती हैं
उनका लक्षण क्या हैं और वे किस प्रकार प्रगट हुई।
श्रीनारायण कहते हैं - हे वत्स महामाया युक्त परमेश्वर सृष्टि के निमित्त अर्धनारीश्वर बन गये, जिनका दक्षिणार्थ भाग पुरुष और वामार्ध भाग प्रकृति कहा जाता हैं।
जैसे अग्नि में दाहिका शक्ति अभिन्न रूप से स्थित हैं, वैसे ही परमात्मा और प्रकृतिरूपा शक्ति भी अभिन्न हैं।
इसीलिए योगिजन स्त्री और पुरुष का भेद नहीं करते वे निरंतर चिन्तन करते है की सभी कुछ ब्रह्मा है।
भगवती मूलप्रकृति सृष्टि करने की कामना से
भक्तों पर अनुग्रह करने हेतु पांच रूपों में अवतरित हुई
गणेशमाता दुर्गा शिवप्रिया तथा शिवरूपा है।
जो पूर्ण ब्रह्मस्वरूपा हैं।
शुद्ध सत्वरूपा महालक्ष्मी अधिष्ठात्री तथा आजीविका स्वरूपिणी हैं, वे वैकुंठ में अपने स्वामी श्री विष्णु की सेवा में तत्पर रहती हैं।
वे स्वर्ग मे स्वर्गलक्ष्मी, राजाओं में राज्यलक्ष्मी, गृहस्थ मनुष्यों के घर में गृहलक्ष्मी और सभी प्राणियों में तथा पदार्थो में शोभारूप में विराजमान रहती हैं।
भगवती सरस्वती परमात्मा की वाणी, बुद्धि, विद्या एवं ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं तथा सभी विद्याओं की विग्रहरूपा है, वे देवी मनुष्यों को बुद्धि,कवित्वशक्ति, मेधा,प्रतिभा और स्मृति प्रदान करती है।
भगवती सावित्री चारों वर्णों,वेदांगों, छंदों,
संध्या वंदन के मंत्रों एवं समस्त तंत्रों की जननी हैं।
भगवती राधा पंचप्राणों की अधिष्ठात्री पंच प्राणस्वरूपा तथा सभी शक्तियों में परम सुन्दर
भगवती राधा परमात्म प्रभु श्रीकृष्ण की रासलीला की अधिष्ठात्री हैं जिन्होंने ब्रजमंडल में वृषभानु की पुत्री के रूप में जन्म लिया तथा ब्रह्मादि देवों के द्वारा भी जो अदृष्ट थी,
प्रत्येक भुवन में सभी देवियां तथा नारियां इन्ही प्रकृति देवी के अंश के कला से उत्पन्न हैं।
पांच देवियों को एक साथ पंच प्रकृति के रूप में पूजा जाता है।
देवी दुर्गा, महालक्षी, सरस्वती, सावित्री, राधा
पांच देवियां है जो संपूर्ण प्रकृति की संचालन करती है
अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति एवम् ज्ञानप्रद
ReplyDeleteजय माता दी 🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteनवरात्रि की ढेर सारी शुभकामनाएं 🙏
ReplyDeleteJai Mata Di
ReplyDeleteInformative and interesting post
ReplyDeleteजय माता दी 🌺🙏
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